मधुमक्खी पालन
मधुमक्खी पालन एक कृषि आधारित उद्यम है, जिसे किसान अतिरिक्त आय अर्जित करने के लिए अपना सकते हैं।मधुमक्खियां फूलों के रस को शहद में बदल देती हैं और उन्हें अपने छत्तों में जमा करती हैं। जंगलों से मधु एकत्र करने की परंपरा लंबे समय से लुप्त हो रही है। बाजार में शहद और इसके उत्पादों की बढ़ती मांग के कारण मधुमक्खी पालन अब एक लाभदायक और आकर्षक उद्यम के रूप में स्थापित हो चला है। मधुमक्खी पालन के उत्पाद के रूप में शहद और मोम आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं।
आय बढ़ाने की गतिविधि के रूप में मधुमक्खी पालन के लाभ
- मधुमक्खी पालन में कम समय, क म लागत और कम ढांचागत पूंजी निवेश की जरूरत होती है,
- कम उपजवाले खेत से भी शहद और मधुमक्खी के मोम का उत्पादन किया जा सकता है,
- मधुमक्खियां खेती के किसी अन्य उद्यम से कोई ढांचागत प्रतिस्पर्द्धा नहीं करती हैं,
- मधुमक्खी पालन का पर्यावरण पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। मधुमक्खियां कई फूलवाले पौधों के परागण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इस तरह वे सूर्यमुखी और विभिन्न फलों की उत्पादन मात्रा बढ़ाने में सहायक होती हैं,
- शहद एक स्वादिष्ट और पोषक खाद्य पदार्थ है। शहद एकत्र करने के पारंपरिक तरीके में मधुमक्खियों के जंगली छत्ते नष्ट कर दिये जाते हैं। इसे मधुमक्खियों को बक्सों में रख कर और घर में शहद उत्पादन कर रोका जा सकता है,
- मधुमक्खी पालन किसी एक व्यक्ति या समूह द्वारा शुरू किया जा सकता है,
- बाजार में शहद और मोम की भारी मांग है।
मधुमक्खियां खेत या घर में बक्सों में पाली जा सकती हैं।
- स्मोकर या धुआं फेंकनेवाला: यह दूसरा महत्वपूर्ण उपकरण है। इसे छोटे टिन से बनाया जा सकता है। हम धुआं फेंकनेवाले का उपयोग खुद को मधुमक्खियों के डंक से बचाने और उन पर नियंत्रण पाने के लिए करते हैं।
- कपड़ा: काम के दौरान अपनी आंखों और नाक को मधुमक्खियों के डंक से बचाने के लिए।
- छुरी: इसका इस्तेमाल उपरी छड़ों को ढीला करने और शहद की छड़ों को काटने के लिए किया जाता है।
- पंख: मधुमक्खियों को छत्ते से हटाने के लिए।
- रानी को छोड़नेवाला
- माचिस की डिब्बी
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भारत में मधुमक्खियों की चार प्रजातियां पायी जाती हैं। ये हैं:
- पहाड़ी मधुमक्खी (एपिस डोरसाटा): ये अच्छी मात्रा में शहद एकत्र करनेवाली होती हैं। इनकी एक कॉलोनी से 50 से 80 किलो तक शहद मिलता है।
- छोटी मधुमक्खी (एपिस फ्लोरिया): इनसे बहुत कम शहद मिलता है। एक कॉलोनी से मात्र 200 से 900 ग्राम शहद ही ये एकत्र करती हैं।
- भारतीय मधुमक्खी (एपिस सेराना इंडिका): ये एक साल में एक कॉलोनी से औसतन छह से आठ किलो तक शहद देती हैं।
- यूरोपियन मधुमक्खी (इटालियन मधुमक्खी)(एपिस मेल्लीफेरा): इनकी एक कॉलोनी से औसतन 25 से 40 किलो तक शहद मिलता है।
Stingless bee
(Trigona iridipennis): In addition to the above, another
species is also present in Kerala known as stingless bees. They are not
truly stingless, but sting is poorly developed. They are efficient
pollinators. They yield 300-400 g of honey per year.
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- सभी बक्से खुली और सूखी जगहों पर होने चाहिए। यदि यह स्थान किसी बगीचे के आसपास हो तो और भी अच्छा होगा। बगीचे में पराग, रस और पानी का पर्याप्त स्रोत हो।
- छत्तों का तापमान उपयुक्त बनाये रखने के लिए इन्हें सूर्य की किरणों से बचाया जाना जरूरी होता है।
- छत्तों के आसपास चींटियों के लिए कुआं होना चाहिए। कॉलोनियों का रुख पूर्व की ओर हो और बारिश और सूर्य से बचाने के लिए इसकी दिशा में थोड़ा बहुत बदलाव किया जा सकता है।
- कॉलोनियों को मवेशियों, अन्य जानवरों, व्यस्त सड़कों और सड़क पर लगी लाइटों से दूर रखें।
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- मधुमक्खी कॉलोनी की स्थापना के लिए मधुमक्खी किसी जंगली छत्तों की कॉलोनी से लेकर उसे छत्ते में स्थानांतरित किया जा सकता है या फिर उधर से गुजरनेवाली मधुमक्खियों के झुंड को आकर्षित किया जा सकता है।
- किसी तैयार छत्ते में मधुमक्खियों के झुंड को आकर्षित करने या स्थानांतरित करने से पहले उस बक्से में परिचित सुगंध देना लाभदायक होता है। इसके लिए बक्से के भीतर छत्तों के टुकड़ों को रगड़ दें या थोड़ा सा मोम लगा दें। यदि संभव हो, तो किसी प्राकृतिक ठिकाने से रानी मक्खी को पकड़ लें और उसे अपने छत्ते में रख दें, ताकि दूसरी मधुमक्खियां वहां आकर्षित हों।
- छत्ते में जमा की गयी मधुमक्खियों को कुछ सप्ताह के लिए भोजन करायें। इसके लिए आधा कप चीनी को आधा कप गरम पानी में अच्छी तरह घोल लें और उसे बक्से में रख दें। इससे छड़ के साथ तेजी से छत्ता बनाने में भी मदद मिलेगी।
- बक्से में भीड़ करने से बचें।
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- मधुमक्खी के छत्तों का शहद टपकने के मौसम में, खासकर सुबह के समय सप्ताह में कम से कम एक बार निरीक्षण करें।
- निम्नलिखित क्रम में बक्सों की सफाई करें, छत, ऊपरी सतह, छत्तों की जगह और सतह।
- कॉलोनियों पर नियमित निगाह रखें और देखते रहें कि स्वस्थ रानी, छत्ते का विकास, शहद का भंडारण, पराग कण की मौजूदगी, रानी का घर और मधुमक्खियों की संख्या तथा छत्तों के कोष्ठों का विकास हो रहा है।
- इनमें से मधुमक्खियों के किसी एक दुश्मन के संक्रमण की भी नियमित जांच करें-
- मोम का कीड़ा (गैल्लेरिया मेल्लोनेल्ला): इसके लार्वा और सिल्कनुमा कीड़ों को छत्ते से, बक्सों के कोनों से और छत से साफ कर दें।
- मोम छेदक (प्लैटिबोलियम एसपी): वयस्क छेदकों को एकत्र कर नष्ट कर दें।
- दीमक: फ्रेम और सतह को रुई से साफ करें। रुई को पोटाशियम परमैंगनेट के घोल में डुबायें। जब तक दीमक खत्म न हो जाये, सतह को पोछते रहें।
- नरम मौसम में प्रबंधन
- छड़ों को हटा दें और उपलब्ध स्वस्थ मधुमक्खियों को अच्छी तरह से कोष्ठकों में रखें।
- यदि संभव हो, तो विभाजक दीवार लगा दें।
- यदि पता चल जाये, तो रानी के घर और शिशुओं के घर को नष्ट कर दें।
- भारतीय मधुमक्खियों के लिए प्रति सप्ताह 200 ग्राम चीनी का घोल (एक-एक के अनुपात में) दें।
- पूरी कॉलोनी को एक ही समय में भोजन दें, ताकि लूटपाट न हो।
- शहद एकत्र करने के मौसम में प्रबंधन
- शहद एकत्र करने का मौसम शुरू होने से पहले कॉलोनी में मधुमक्खियों की संख्या पर्याप्त बढ़ा लें।
- पहले छत्ते और नये कोष्ठों के बीच पर्याप्त जगह दें, ताकि रानी मधुमक्खी अपने कोष्ठ में रह सके।
- रानी मधुमक्खी को उसके कोष्ठ में बंद करने के लिए रानी को अलग करनेवाली दीवार लगा दें।
- कॉलोनी का सप्ताह में एक बार निरीक्षण करें और बक्से के किनारे शहद से भरे छत्तों को तत्काल हटा दें। इससे बक्सा हल्का होता रहेगा और तीन-चौथाई भरे हुए शहद के बरतन को समय-समय पर खाली करना जगह भी बचायेगा।
- जिस छत्ते को पूरी तरह बंद कर दिया गया हो या शहद निकालने के लिए बाहर निकाला गया हो, उसे बाद में वापस पुराने स्थान पर लगा दिया जाना चाहिए।
- मधुमक्खियों को धुआं दिखा कर अलग कर दें और सावधानी से छत्तों को छड़ से अलग करें।
- शहद को अमूमन अक्तूबर-नवंबर और फरवरी-जून के बीच ही एकत्र किया जाना चाहिए, क्योंकि इस मौसम में फूल ज्यादा खिलते हैं।
- पूरी तरह भरा हुआ छत्ता हल्के रंग का होता है। इसके दोनों ओर के आधे से अधिक कोष्ठ मोम से बंद होते हैं।
रीक टोकरी का छत्ता
ग्रीक टोकरी का छत्ता एक पारम्परिक तकनीक
है। यह अब भी प्रासंगिक है, क्योंकि इसे बनाने के लिए स्थानीय सामग्री तथा
स्थानीय कौशल की आवश्यकता होती है।
बनावट
- टोकरी ऊपरी छोर से चौड़ी तथा तले से संकरी होती है।
- ऊपरी भाग 1.25 इंच चौड़े समानांतर लकड़ी की छड़ों से ढंका होता है, जो पास-पास इस तरह से रखे होते हैं कि मधुमक्खी रोधी कवर बन जाए। लम्बाई की दिशा में प्रत्येक छड़ उत्तल होती है (निचली सतह पर) तथा लगभग एक इंच की दूरी होती है। उत्तलता छड़ के मध्य में आना चाहिए। दोनों सिरों को 2-3 इंच तक चपटा रखा जाना चाहिए ताकि जहां से छड़ें, जो टोकरी की परिधि से लम्बी होती हैं तथा टोकरी के मुंह पर टिकी होती हैं, वहां से मधुमक्खियां निकल न पाएं। (चित्र 1 देखिए)
- लम्बाई के सहारे, प्रत्येक छड़ के मध्य में, नीचे की ओर पिघले हुए मधुमक्खी के मोम के साथ एक पतला कंघा लगाया जाता है ताकि सीधे कंघी बनाए जा सकें।
- अन्दर तथा बाहर से टोकरी को दो भाग गोबर तथा एक भाग मिट्टी के मिश्रण से लीपा जाता है। (चित्र 2)। जब पलस्तर सूख जाता है, तो छड़ों को टोकरी के ऊपर रख दिया जाता है जिसे धूप तथा बारिश से बचाने के लिए इसके बाद फूस से बने शंकु के आकार के हैट से ढंका जाता है। (चित्र 3 देखें)।
- छत्ते के लिए आगमन बिन्दु तले से कम से कम 3 इंच ऊपर होना ज़रूरी है ताकि यदि कंघी गिर जाता है तो आगमन के मार्ग में रुकावट न हो। (चित्र 4 देखें)
- जब शहद पक्का हो जाए तथा उसका बहाव पूरा हो जाए, तो कंघी छड़ों से काट दिए जाते हैं लेकिन कंघी की एक पतली छोटी पट्टी, पाव इंच से अधिक नहीं, मधुमक्खियों को सीधे, नए कंघी फिर से बनाने के लिए, छोड़ दी जाती है।