सहिवाल
- मुख्यतः पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, बिहार व मध्य प्रदेश में पाया जाता है।
- दुग्ध उत्पादन- ग्रामीण स्थितियों में 1350 किलोग्राम
- व्यावसायिक फार्म की स्थिति में- 2100 किलो ग्राम
- प्रथम प्रजनन की उम्र - 32-36 महीने
- प्रजनन की अवधि में अंतराल - 15 महीने
गीर
- दक्षिण काठियावाड क़े गीर जंगलों में पाये जाते हैं।
- दुग्ध उत्पादन- ग्रामीण स्थितियों में- 900 किलोग्राम
- व्यावसायिक फार्म की स्थिति में- 1600 किलोग्राम
थारपकर
- मुख्यतः जोधपुर, कच्छ व जैसलमेर में पाये जाते हैं
- दुग्ध उत्पादन- ग्रामीण स्थितियों में- 1660 किलोग्राम
- व्यावसायिक फार्म की स्थिति में- 2500 किलोग्राम
करन फ्राइ
करण फ्राइ का विकास राजस्थान में पाई जाने वाली
थारपारकर नस्ल की गाय को होल्स्टीन फ्रीज़ियन नस्ल के सांड के वीर्याधान द्वारा किया
गया। यद्यपि थारपारकर गाय की दुग्ध उत्पादकता औसत होती है, लेकिन गर्म और आर्द्र
जलवायु को सहन करने की अपनी क्षमता के कारण वे भारतीय पशुपालकों के लिए महत्वपूर्ण
होती हैं।
- नस्ल की खूबियां
- इस नस्ल की गायों के शरीर, ललाट और पूंछ पर काले और सफेद धब्बे होते हैं। थन का रंग गहरा होता है और उभरी हुई दुग्ध शिराओं वाले स्तनाग्र पर सफेद चित्तियां होती है।
- करन फ्राइ गायें बहुत ही सीधी होती हैं। इसके मादा बच्चे नर बच्चों की तुलना में जल्दी वयस्क होते हैं और 32-34 महीने की उम्र में ही गर्भधारण की क्षमता प्राप्त कर लेते हैं।
- गर्भावधि 280 दिनों की होती है। एक बार बच्चे देने के बाद 3-4 महीनों में यह पुन: गर्भधारण कर सकती है। इस मामले में यह स्थानीय नस्ल की गायों की तुलना में अधिक लाभकारी सिद्ध होती हैं क्योंकि वे प्राय: बच्चे देने के 5-6 महीने बाद ही दुबारा गर्भधारण कर सकती हैं।
- दुग्ध उत्पादन : करन फ्राइ नस्ल की गायें साल भर में लगभग 3000 से 3400 लीटर तक दूध देने की क्षमता रखती हैं। संस्थान के फार्म में इन गायों की औसत दुग्ध उत्पादन क्षमता 3700 लीटर होती है, जिसमें वसा की मात्रा 4.2% होती है। इनके दूध उत्पादन की अवधि साल में 320 दिन की होती है।
- अच्छी तरह और पर्याप्त मात्रा में हरा चारा और संतुलित सांद्र मिश्रित आहार उपलब्ध होने पर इस नस्ल की गायें प्रतिदिन 15-20 लीटर दूध देती हैं। दूध का उत्पादन बच्चे देने के 3-4 महीने की अवधि के दौरान प्रतिदिन 25-30 लीटर तक होता है।
- उच्च दुग्ध उत्पादन क्षमता के कारण ऐसी गायों में थन का संक्रमण अधिक होता है और साथ ही उनमें खनिज पदार्थों की भी कमी पाई जाती है। समय पर पता चल जाने से ऐसे संक्रमणों का इलाज आसानी से हो जाता है।
बछड़े की कीमत : तुरंत ब्यायी हुई गाय की कीमत दूध देने
की इसकी क्षमता के अनुसार 20,000 रुपये से 25,000 रुपए तक हो सकती है।
अधिक
जानकारी के लिए, संपर्क करें: अध्यक्ष,
डेयरी पशु प्रजनन शाखा
गोकुल धाम गौशाला संस्थान,दरभंगा
बिहार - ८४७२०३
फ़ोन: 9801150124
लाल सिंधी
- मुख्यतः पंजाब, हरियाणा, कर्नाटक, तमिल नाडु, केरल व उडीसा में पाये जाते हैं।
- दुग्ध उत्पादन- ग्रामीण स्थितियों में- 1100 किलोग्राम
- व्यावसायिक फार्म की स्थिति में- 1900 किलोग्राम
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