- पहले क्षेत्र की ज़मीन की खरपतवार को निकाल कर समतल किया जाता है।
- ईटों को क्षैतिजिय, आयताकार तरीके से पंक्तिबद्ध किया जाता है।
- 2 मीटर X 2 मीटर आकार की एक यूवी स्थायीकृत सिल्पोलिन शीट को ईटों पर एक समान
तरीके से इस तरह से फैलाया जाता है कि ईटों द्वारा बनाये गये आयताकार रचना के
किनारे ढंक जाएं।
- सिल्पोलिन के गड्ढे पर 10-15 किलो छनी मिट्टी फैला दी जाती है।
- 10 लिटर पानी में मिश्रित 2 किलो गोबर एवं 30 ग्राम सुपर फॉस्फेट से बना घोल,
शीट पर डाला जाता है। जलस्तर को लगभग 10 सेमी तक करने के लिए और पानी मिलाया जाता
है।
- एजोला क्यारी में मिट्टी तथा पानी के हल्के से हिलाने के बाद लगभग 0.5 से 1
किलो शुद्ध मातृ एजोला कल्चर बीज़ सामाग्री पानी पर एक समान फैला दी जाती है।
संचारण के तुरंत बाद एजोला के पौधों को सीधा करने के लिए एजोला पर ताज़ा पानी
छिड़का जाना चाहिए।
- एक हफ्ते के अन्दर, एजोला पूरी क्यारी में फैल जाती है एवं एक मोटी चादर जैसा
बन जाती है।
- एजोला की तेज वृद्धि तथा 50 ग्राम दैनिक पैदावार के लिए, 5 दिनों में एक बार 20
ग्राम सुपर फॉस्फेट तथा लगभग 1 किलो गाय का गोबर मिलाया जाना चाहिए।
- एजोला में खनिज की मात्रा बढ़ाने के लिए एक-एक हफ्ते के अंतराल पर मैग्नेशियम,
आयरन, कॉपर, सल्फर आदि से युक्त एक सूक्ष्मपोषक भी मिलाया जा सकता है।
- नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ने तथा सूक्ष्मपोषक की कमी को रोकने के लिए, 30 दिनों
में एक बार लगभग 5 किलो क्यारी की मिट्टी को नई मिट्टी से बदलनी चाहिए।
- क्यारी में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ने से रोकने के लिए, प्रति 10 दिनो में एक
बार, 25 से 30 प्रतिशत पानी भी ताज़े पानी से बदला जाना आवश्यक होता है।
- प्रति छह महीनों में क्यारी को साफ किया जाना चाहिए, पानी तथा मिट्टी को बदला
जाना चाहिए एवं नए एजोला का संचारण किया जाना चाहिए।
- कीटों तथा बीमारियों से संक्रमित होने पर एजोला के शुद्ध कल्चर से एक नयी
क्यारी तैयार तथा संचारण किया जाना चाहिए।
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