- खरगोश पालन क्यों।
- कम निवेश और छोटी जगह में ही खरगोश पालन अधिक आय देता है।
- खरगोश साधारण खाना खाता है और खरगोश से उच्च गुणवत्ता वाला प्रोटीनयुक्त माँस उपलब्ध होता है।
- मीट उत्पादन के अलावा वे फर और खाल के लिए भी पाले जा सकते हैं।
|
|
|
|
|
|
|
- स्वस्थ और चमकीले बाल
- अत्यधिक सक्रिय
- खाने के बाद भी अच्छा और जल्दी से खा लेना
- आमतौर पर आंखें बिना किसी डिस्चार्ज के चमकीली रहती हैं
- उत्साहजनक तरीके से वजन का बढ़ना
|
- कमजोर और उदासीन
- वजन में कमी और दुर्बलता
- बालों का तेजी से गिरना
- खरगोशों में किसी सक्रिय गतिविधि का न होना। आमतौर पर वे पिंजरे में किसी एक स्थान पर खड़े रहते हैं।
- खाद्य को कम मात्रा में लेना
- आंख, नाक, मलद्वार और मुंह से पानी या अन्य चीज का बाहर निकलना
- शरीरिक तापमान और श्वसन दर का बढ़ना
- खरगोश को होनेवाली बीमारियाँ
- चिकित्सीय संकेत
लगातार खांसने और छींकने के दौरान खरगोश अपनी नाक अपने आगे के पैरों से लगातार खुजलाते हैं। श्वसन के दौरान निकलने वाली आवाज बरतनों की खड़खड़ाहट जैसी होती है। इसके अलावा इनमें बुखार और हैजा भी होता है। इसके लिए जिम्मेदार सूक्ष्म जीवाणु ही उनकी त्वचा के नीचे पिस्सू पैदा कर देते हैं और उनका गला खराब कर देते हैं।उपचार: पिस्सू लगने की स्थिति में उपचार उतना प्रभावी नहीं होता। भले ही इनसे ग्रस्त खरगोश ठीक हो जाते हैं, लेकिन वे अन्य स्वस्थ खरगोशों को संक्रमित कर सकते हैं। इससे बचने का एक ही तरीका है कि ऐसे खरगोशों को फार्म से बाहर निकाल दिया जाए।एंटेराइटिस: खरगोशों में एंटेराइटिस पैदा करने करने के लिए कई सूक्ष्म जीवाणु जिम्मेदार होते हैं। इन जीवाणुओं के प्रति खरगोशों को संवेदनशील बनाने में खाने में हुआ अचानक बदलाव, भोजन में कार्बोहाइड्रेट की अत्यधिक मात्रा, प्रतिरोध क्षमता में कमी, अस्वच्छ भोजन और पानी आदि जिम्मेदार हैं। इस बीमारी के चिकित्सीय संकेतों में हैजा, पेट का आकार बढ़ना, बाल मुरझाना और पानी की कमी है। हैजा के चलते पानी की कमी से खरगोश सुस्त हो जाते हैं।राई नेक बीमारी
पिस्सुओं से संक्रमित खरगोश राई नेक बीमारी की चपेट में आ जाते हैं जो उनके बीच के कान और दिमाग पर असर डालती है। कान से पास पिव निकलने के कारण खरगोश अपना सिर एक तरफ झुका लेता है। पिस्सुओं के प्रभावी उपचार से इस बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है।मास्टाइटिस
बच्चा खरगोशों की देखभाल करने वाली माता खरगोश को मास्टाइटिस हो सकता है। जिस उदग्र में यह बीमारी होती है, वह लाल और दर्दीला हो जाता है। एंटीबायोटिक देने से इस बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है।
- फंगस के संक्रमण से होने वाली बीमारियां
उपचार
प्रभावित हिस्सों पर ग्रीसियोफुल्विन या बेंजाइल बेंजोएट क्रीम लगानी चाहिए। इस बीमारी के नियंत्रण के लिए भोजन में प्रति किलो 0.75 ग्राम ग्रीसियोफुल्विन मिला कर दो हफ्ते तक दिया जाना चाहिए।
- खरगोशः बीमारी नियंत्रित करने हेतु स्वच्छता मानक
- खरगोश फार्म ऐसे स्थान पर होना चाहिए जो पर्याप्त हवादार हो
- पिंजरे साफ-सुथरे होने चाहिए
- खरगोशों की झोपड़ी के चारों ओर पेड़ होने चाहिए
- साल में दो बार सफेदी की जानी चाहिए
- हफ्ते में दो बार पिंजरों के नीचे चूने का पानी छिड़कना चाहिए
- गर्मी के मौसम में गर्मी से होने वाली मौतों को रोकने के लिए खरगोशों पर पानी का छिड़काव किया जाना चाहिए
- पीने के लिए पानी देने से पहले उसे अच्छी तरह उबाल लिया जाना चाहिए और विशेषतौर पर डैम और हाल में पैदा हुए बच्चों के लिए उसे ठंडा कर लिया जाना चाहिए
- बैक्टीरियाई सूक्ष्म जीवाणुओं से होने वाली बीमारी को रोकने के लिए प्रति लीटर पीने के पानी में 0.5 टेट्रासाइक्लीन मिलानी चाहिए और हर महीने में तीन दिन इसे दिया जाना चाहिए।